शीतल को वार्षिक-उत्सव में चोदा

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प्रतीक जैन
सभी पाठकों को फिर से मेरा प्रणाम…
दोस्तो सेक्स का अनुभव ऐसा होता है जो इंसान को पूरी जिंदगी याद रहता है और ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था जो कि मैं आपको बता रहा हूँ।

बात तब की है जब मैं 18 साल का था, कक्षा 12 में पढ़ता था और मेरे इंस्टिट्यूट में एक सर और मैडम का अफेयर चल रहा था, मेरी कक्षा में सभी को उनके अफ़ेयर के बारे में पता था, सभी उनके मज़े लिया करते थे।
और एक दिन मेरी भी किस्मत का ताला खुल गया..

बात थी 12 जनवरी की, हमारे इंस्टिट्यूट का वार्षिक-उत्सव था, रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम होने थे.. मैंने भी 2 ड्रामों मे भाग लिया था इसलिए मुझे भी एक दिन पहले देर रात तक इंस्टिट्यूट में रुकना पड़ा। मैं और मेरा दोस्त नवीन शाम को खाना खाकर फिर से इंस्टिट्यूट आ गए थे और सर ने हमें कहा था कि शायद रात को यहीं रुकना पड़ सकता है इसलिए हम पूरी तैयारी के साथ आए थे और हाल में ही सभी के बिस्तर लगे थे।

सभी लगभग 10 बजे तक सो चुके थे पर हम दोनों दोस्तों को नींद नहीं आ रही थी, तो हम बाहर जा कर मैदान में घूमने लगे। तभी पास की लाइब्रेरी से कुछ आवाज़ आती हमें सुनाई दी और हम दोनों लाइब्रेरी की ओर चलने लगे। धीरे धीरे आवाज़ तेज होती गई, जो किसी लड़की की आवाज़ थी, वो दर्द से कसमसा रही थी।

लाइब्रेरी के पास पहुँचते ही हम सब समझ चुके थे कि मामला आख़िर क्या है ! लाइब्रेरी के अंदर वही सर जिनका नाम राकेश था, शीतल नाम की 24 साल की मैडम के साथ काम-क्रिया में लिप्त थे.. सर मैडम के बोबे दबा रहे थे और मैडम मस्ती से सर का लंड मसल रही थी।

इसे देख कर मेरी हालत भी खराब होने लगी और मैं भी अपना लंड हाथ से हिलाने लगा। तभी नवीन ने कहा- प्रतीक कंट्रोल कर ! आज तो मैडम को चोदेंगे, बस तोड़ा सा इंतजार कर…

और फिर हम धीरे से लाइब्रेरी में घुस कर छिप गये। मैडम और सर ने अपने अपने कपड़े खोल लिए थे। तभी नवीन ने चुपके से मैडम के कपड़े छुपा लिए और मुझे बोला- अब देख मेरा कमाल ..

थोड़ी देर में सर मैडम को चोदने लगे और कुछ ही देर में सर झड़ गये और मैडम से ऊपर से उठ कर कपड़े पहनने लगे। तभी मैडम ने अपने कपड़े देखे, पर उन्हें नहीं मिले। वो इधर उधर कपड़े देखने लगी पर कपड़े तो हमारे पास थे ..

इतने में नवीन ने कहा- क्यों शीतल ! कपड़े नही मिल रहे?

उसको देख कर मैडम एक दम सुन्न सी रह गई और अपने हाथों से अपने स्तन छिपाने लगी और कहने लगी- अरे नवीन मेरे कपड़े दो !

नवीन ने कहा- बहनचोद ! अभी तो तुझे हमसे चुदाना पड़ेगा..
वो रोने लगी- नही ऐसा नहीं होगा ! जल्दी से मेरे कपड़े दो !

इसी बीच सर वहाँ से खिसक कर चले गये..
नवीन ने कहा- मैडम कपड़े चाहिएँ तो एक बार चूत देनी पड़ेगी…

मरती क्या नहीं करती, उसने मजबूरी में अपने दोनों हाथ नीचे कर दिया और बोली- लो कर लो जो भी करना हो…

बस उसका ये बोलना हुआ और मैं और नवीन उस पर चढ़ गये और उसको तीन बार चोदा.. और वो करीब पाँच बार झड़ गई और फिर हम दोनों को किस करके बोली- मज़ा आ गया ! इतना मज़ा तो तुम्हारे राकेश सर से भी नहीं आया…

और फिर हम चुपचाप आकर हाल में सो गये..

अगले दिन कार्यक्रम था। उस रात भी हमने उसे होटेल में ले जाकर चोदा !

वो मैं आपको बाद में बताऊँगा और नवीन से भी आपको मिलवाउँगा।

तब तक के लिए इजाज़त दीजिए !
और हाँ मुझे मेल तो आप करेंगे ही ना !

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